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Surendra kumar singh

Romance

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Surendra kumar singh

Romance

जैसे तू

जैसे तू

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गन्ध है दुआ

खाक है पता

खुशियों की बारिश में

बदली हुई है ये हवा

जैसे तू।


शाम की आंख में रोशनी रौशनी

घुप्प अंधेरा भरा चांदनी चांदनी

तेरी दुनिया मे ही मेरी दुनिया बसी

मेरा प्रेम है नया,प्यास है खुदा

सपनों की बारिश में

बदली हुई हुयी है घटा

जैसे तू।


दुनिया से थे हम बेखबर

फिसली नहीं तेरी मुझसे नजर

लाख तूफां मिले हम किनारे लगे

श्वांस है कृपा,मौत की दया

चाहत की बारिश में

बदली हुयी है ये दया

जैसे तू।


बन्द आंखे हुईं हर जगह तू दिखा

जब भी आंखे खुली सिर्फ तू ही मिला

अब बिछड़ने का कोई समय ही नहीं

चैन की फिजा,प्रेम की दिशा

रहमतों की बारिश में

चेहरा तेरा है नया

जैसे तू।


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