जाऊँ कैसे जमुना के तीर
जाऊँ कैसे जमुना के तीर
सखी जाऊँ कैसे जमुना के तीर
कैसे भरूँ मैं गगरी में नीर
छेड़े श्याम, रंग दे मोहे मार पिचकारी
मोरी गगरी फोड़े मोरी भीजे रे साड़ी
मेरे हिय में उठत है पीर
सखी जाऊँ कैसे जमुना के तीर
न मैं जाऊँ तो श्याम मेरे सपने में आये
खेले आँख मिचौली मुझे बड़ा तड़पाये
मेरी अँखियों से बह जाये नीर
सखी जाऊँ कैसे जमुना के तीर
जो मैं माँ को बताऊँ वह तो समझ न पाये
उस पर मोहन मंद मंद मुस्काये
तिरछी नजरों से छोड़े है तीर
सखी जाऊँ कैसे जमुना के तीर