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Dinesh Dubey

Abstract

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Dinesh Dubey

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जासूस

जासूस

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जासूस करते जासूसी,

उनकी भी होती जासूसी,

अब जासूस भी बिक चुका,

पैसों के आगे है झुक चुका।


जासूस भी बेईमान हुए,

मन में यह है भाव लिए,

मिल जाए जिस से माल,

ठोकेंगे उसकी ही ताल।


रह गए अब बन कठपुतली,

अब नाचे सत्ता की उंगली,

करे क्यों अब परवाह देश की,

जा लुटेरे हुए शासक देश के।


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