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purushottam hingankar

Abstract

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purushottam hingankar

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सीता हनुमान भैंट

सीता हनुमान भैंट

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भिक्षा मांगे सीता माँको, जोगी पर्णकुटीके द्वार खडा

 भिक्षा देणे लक्ष्मण रेखाके बाहर सीता माँ कां पैर पडा!!१!!


आसमानसे लेगये सीताको ग्रीद्धराजने वह देखा

श्रीराम भगतपर हमला किया जटायुने खाया धोका!!२!!


रक्तरंजित पंख को देखकर श्रीरामजीही रो पडे

किसने मारा मेरे भगतको सबही व्याकुल हॊ खडे !!३!!


 व्याकुल देखे श्रीरामजी को हनुमान पूछे कारण

आज्ञा देदो प्रभू मुझे मैं सीता माँ कां करू शोधन!!४!!


लांघ गये हनुमान समुंदर, लंका के भितर अशोकवन 

सीता माँ कां दर्शन करीयों, मनमो श्रीराम सुमीरन!!५!!


रामनमकी गठरी बांधी कौन हॊ वनचर तुम,

सामने आकर नाम बतावो परिचय देदो तुम!!६!!


क्यों घुमते हॊ देखके मुझको क्या काम है यहाँ तुम्हारा,

माँ ते मैं हूं श्रीरामदास चरनोका विश्वास हनुमान तुम्हारा!!७!!


अंजनी लाल पवनपुत्र हूं कपिकुल श्रीराम सुमिरनवाला,

राम नाम कीं छवीको लेकर लंकामे माता को मिलनेवाला!!८!!


कैसे है प्राणनाथ मेरे श्रीराम सबको सुखं दिलवाने 

प्यासे मनको सुखं दिलवाने, कब आते है मुझको लेने!!९!!

,

धीरज धरके सबूर करो माँ जल्दही पहुचेंगे श्रीराम , 

अहंकारी रावण को जब मारेंगे, तब ले जावेगे श्रीराम !!१०!!


तब छुडाकर ले जायेंगे माँ तुमको अयोध्याधीश श्रीराम

 अभी ले जाता पर, आज्ञा नहीं है मैं हूं बालक दास श्रीराम!!११!!


कैसी समजावू इस बालकको कैसी बुझावू मनं प्यास 

श्रीराम दर्शन आस है मनमा कब खड़ी रहूँ श्रीराम के पास!!१२!!)


यह द्वादश चौपाई पढे भक्त्त जो होवे राम प्रसन्न,

हनुमंत जैसा महा बलशाली बुद्धीवंत और ज्ञानवान !!१३!!


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