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सीमा शर्मा सृजिता

Abstract Inspirational

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सीमा शर्मा सृजिता

Abstract Inspirational

रहस्य

रहस्य

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जीवन एक दौड़ है हम सब दौड़ रहे हैं 

हमें कहां रूकना है 

ये एक रहस्य है 

किसी को कुछ पता नहीं 

फिर भी हम दौड़ रहे हैं 

आगे निकल जाने की चाह में 

कुछ तो इतने मदमस्त हैं 

गिरा रहे हैं अपनों को ही 

कुछ हार गये हैं दौड़ते - दौड़ते 

ये देखकर हँस रहे हैं कुछ 

जोर- जोर से हँस रहे हैं 

कुछ जले जा रहे हैं 

अपनों को ही दौड़ता देख 

उन्हें भागना है सबसे तेज 

पाना है ना जाने क्या ?

कुछ के पैरों में छाले उग आये हैं 

कुछ ही हैं जो खुश हैं सबकी खुशी में 

तरह -तरह के लोग हैं 

तरह -तरह के मन के भाव 

सब लगे हैं दौड़ने में 

मैं थक गई हूं 

मैं रूक गई हूं 

मैं सोच रही हूं 

जब किसी को नहीं पता ये रहस्य 

कि भविष्य के गर्भ में क्या है 

क्या लायेगी कल की सुबह 

तो हम क्यों दौडे़ जा रहे हैं ?

हम क्यों लडे़ जा रहे हैं ?

हम क्यों मरे जा रहे हैं? 

क्या हम रूक नहीं सकते आज में 

क्या हम जी नहीं सकते आज में 

मैं बस सोच रही हूं 

और वे बस दौड़ रहे हैं 

अब वे हँस रहे हैं मुझ पर 

मैं नहीं समझ पा रही 

उनकी हंसी का रहस्य

इसलिए अब मैं भी दौड़ रही हूं।



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