अजनबी न रहे मन
अजनबी न रहे मन
दुनिया के झंझावातों से जूझते
खुद से अनजान रह जाते लोग
अपने आस पास लोगों से मिलें
कर सकते हैं ये एक प्रयोग
उन्हें बतायें, मन की बात लिखें
कागज पर एक मोड़ के रखें
कोई सपना अपना लिखें और
दो हफ्ते के बाद पुनः उसे देखें
अक्सर कुछ दिनों में लोगों के
ख्याल बदल जाते हैं पूरी तरह
इसलिए कि कोई अजनबी है
जो बैठा, अपने मन की जगह
इसीलिए तो गीता में कृष्ण ने
कहा ध्यान करे मन पर काबू
भक्ति, ज्ञान या कर्म पथ चुनें
होगा फिर जीवन में जादू
फिर कोई अजनबी न रहेगा
संसार की हर शै पहचानोगे
निष्काम भाव सर्वोच्च है सबसे
आसानी से ये तुम ये मानोगे।