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Nilofar Farooqui Tauseef

Romance

3  

Nilofar Farooqui Tauseef

Romance

जानता है दिल

जानता है दिल

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हक़ीक़त न सही, वो खवाबों से गुज़र जाता है

सामने होता नही कभी, पर यादों से गुज़र जाता है।


फूलो में कशिश भी आती है ऐसी नज़र

देखूं जो कमल को भी, चेहरा उसका नज़र आता है।


खिल कर महक उठती है, चारों तरफ खुशियां

जब मेरी रूह भी, उसकी रूह से होकर गुजर जाता है


गुज़रना चाहूँ जो कभी उसके शहर से, दो पल

न जाने क्यों, ये कदम उसके राहों को ठहर जाता है


वो अपना नहीं है पराया ही है नीलोफर,

ये जानता है दिल, फिर भी इश्क़ बे-इंतेहा किये जाता है।


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