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Mr. Akabar Pinjari

Romance

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Mr. Akabar Pinjari

Romance

जान से प्यारा

जान से प्यारा

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पत्थरों को पूजते-पूजते ज़माना हो गया,

मोहब्बत का पुजारी फिर से दीवाना हो गया,

क्या करें मेरी आंखों का तारा है वह,

क्योंकि मेरा हमसफ़र, मुझे जान से प्यारा है।


धोखा और बेवफाई उसके खून में है,

तजुर्बा तमाम उसके जुनून में है,

क्या करें मेरी आंखों का तारा है वह,

क्योंकि मेरा हमसफ़र, मुझे जान से प्यारा है।


वह चालाक और शातिर इरादों का बादशाह भी है,

और आगोश में उसके उल्फ़त का नशा भी है,

क्या करें मेरी आंखों का तारा है वह,

क्योंकि मेरा हमसफ़र, मुझे जान से प्यारा है।


शतरंज सी चाल चलकर बाजी पलट देता है वह,

एक झटके में जीने की मिसाल उलट देता है वह,

क्या करें मेरी आंखों का तारा है वह,

क्योंकि मेरा हमसफ़र, मुझे जान से प्यारा है।


कांच का बदन लेकर, वह इत्र सी खुशबू दे जाता है,

और सूरज-सी तपन लेकर, एक पत्र में काबू कर जाता हैै,

क्या करें मेरी आंखों का तारा है वह,

क्योंकि मेरा हमसफ़र, मुझे जान से प्यारा है।


अगर तन से रूह निकाल दी जाए तो क्या बचेगा,

एक ज़िंदा लाश पर ढका, सिर्फ़ कफ़न बचेगा।

क्या करें मेरी आंखों का तारा है वह,

क्योंकि मेरा हमसफ़र, मुझे जान से प्यारा है।


जैसे सुना है,फ़रेबी फ़नकारों का शहर, पुराना है,

हमें भी, अपने दिल के रिश्तों को, आज़माना है,

क्या करें मेरी आंखों का तारा है वह,

क्योंकि मेरा हमसफ़र, मुझे जान से प्यारा है।


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