जादू है ये ज़िन्दगी
जादू है ये ज़िन्दगी
जादू है ये ज़िन्दगी
यही जीवन का सार है
हर पल जादू है यहाँ
मान न मान यही संसार है।
बिन मांगे यहाँ कोई राजा बन जाता है,
कोई मांग कर भी रंक रह जाता है।
जादू है यहाँ हर पल प्यारे
ये क्यों तू भूल जाता है?
पल में कोई जीता है
पल में मर जाता है
पल में लॉटरी लगती किस्मत की
पल में रंक हो जाता है
जिसका जैसा कर्म है प्यारे
वो वैसा ही पाता है
जादू है ज़िन्दगी साहेब
रोज़ तमाशा होता है।
कोई रेखा पढ़ पढ़ कर
भविष्य पे इतराता है
मेहनत के बल पे प्यारे
तक़दीर भी बदल जाता है।
ग़रीबी में जन्मा तो क्या
अमीर भी बन जाता है
दौलत की नुमाइश वाला
रोटी को भी तरस जाता है
तक़दीर ही छड़ी है जादू की
जो पानी में भी आग लगाता है
कर्म और तक़दीर का खेल
मिलकर साथ निभाता है।
कर्म की नगरी ही प्यारे
जादू की नगरी बन जाता है।
तक़दीर ही छड़ी है जादू की
जो पानी में भी आग लगाता है।
इस जादू की नगरी में
इंसान जब थक जाता है
परी जैसी माँ से
हर कोई लिपट जाता है।
बिन मुंह के बचपन को
क्या खूब इसने तराशा है
जादू ही जीवन है
ये माँ से समझ आता है।
ये माँ से समझ आता है।