तुम भाग ना सकोगे कहीं भी अब ,
तुम्हारे ज़िस्म पर दिखती है ....
मेरे साम्राज्य की झलक |
जब तुम अपने चेहरे पर ,
दौड़ाते हो नज़र ....
तो मेरा चेहरा भी उसमे आता है नज़र |
फिर जब अपने लबों को ,
ध्यान देकर संभालते हो ,
तब मेरे लबों की लाली भी उसमे लगी पाते हो |
तुम्हारा बदन तड़प के ,
तब ऐसे मचल जाता ....
जब मेरे बदन की खुशबू अपने बदन में पाता |
बाजुओं में तेरी ,
मुझे कसने की महक आये ,
ये सोचते ही देखो तेरा दिल झूम जाए |
अब और नीचे आयें ,
तो मदहोश से हो जायें .....
कामुक क्षणों को अपने सबसे अब छुपाऐं |
ये ज़िस्म कर गया नादानी ,
ये अब मेरा हो चला है ,
मैं बन तेरी मल्लिका तू होश खो गया है |
इतना बड़ा साम्राज्य ....
कैसे होगा किसी का ?
यही सबसे खूबसूरत पल है ज़िन्दगी का ||