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ajad_e_kalam .

Romance

4  

ajad_e_kalam .

Romance

रिश्ता....!

रिश्ता....!

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रिश्तों की इस परिपाटी का मान हमें रखना होगा..

संग तुम्हारे चलना होगा संग तुम्हारे चलना होगा..


देह सींच मनरूपी कोमल पुष्पों को सींचना होगा,

संग तुम्हारे चलना होगा संग तुम्हारे बढ़ना होगा..


कदमों की आहट सुन सुन कर.. 

फलीभूत हर कार्य कर कर कर..


अनुभव का सम्मान रहेगा,

सब निर्णय के हर क्षण क्षण पर..


अब हर दोषारोपण का संलग्न भार सहना होगा,

मुख में निर्मल वाणी का ही अब भाव रखना होगा..


देह सींच मनरूपी कोमल पुष्पों को सींचना होगा,

संग तुम्हारे चलना होगा संग तुम्हारे बढ़ना होगा..


प्रेम रूपी एक बीज रोपकर..

कटु वचनों के शब्द त्यागकर..


ढाल परस्पर एक दूजे की,

हर विपरीत समय पर बनकर..


आप रहेंगे दीपक तो हमें बाती तो बनना होगा,

अंधियारे के समक्ष परस्पर मिलकर ही जलना होगा..


देह सींच मनरूपी कोमल पुष्पों को सींचना होगा,

संग तुम्हारे चलना होगा संग तुम्हारे बढ़ना होगा..



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