इश्क़
इश्क़
इश्क़ की गलियाँ काँटों भरी, पग हो जाते लहूलुहान।
टूट जाता सारे जग से रिश्ता, इश्क़ माँगता है बलिदान।
त्याग समर्पण सबसे जरूरी, चले प्रतिफल से अनजान।
मिल जाए तो इश्क़ है अमृत, न मिले तो छीन ले प्राण।
कदम रखे हो इस राह पर, तो इश्क़ को इबादत मान।
मीठा मीठा स्वाद ऊपर से, निभाना नहीं होता आसान।
झूठे वादे मत करना प्रिय से, न जगाना मन में अरमान।
जब विश्वास की कलियाँ महकेगी, तब बरसेगा आसमान।

