Ashish Pathak

Romance

4.8  

Ashish Pathak

Romance

इश्क़

इश्क़

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उसके दर्द भी अब दिल से जहन में उतरने लगें हैं,

अब हम रोज धीरे-धीरे, थोड़ा-थोड़ा मरने लगें है।


अब तो हम उफ्फ तक नहीं करते उनके सामने,

बस अक्सर रातों को चुपके से रोने लगें है।


तुम मुझसे कहती थी कि तुमसे दूर होकर हम मर जायेंगे,

वो अब अपने ख़्याबो में दूसरे के सपने भरने लगें हैं।


हम प्यार करते है उनको जितनी सिद्दत से,

अब उतनी ही सिद्दत से अब नफरत करने लगें है।


मोह्हबत सिखा कर जो मुझको छोड़ दिया तुमनें,

हम मोहब्बत के नाम से अब नफ़रत करने लगे हैं।


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