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Madhurendra Mishra

Romance

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Madhurendra Mishra

Romance

इश्क़ के पल:आज और कल

इश्क़ के पल:आज और कल

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तेरे न होने से गम तो है,

अपनी जिंदगी में कुछ कम तो है।


यूँ तो नहीं हम रोते हैं,

बिन पाये न जाने क्यों तुम्हें रोज़ खोते है।


कब तक हम अपने आपको बहकाते रहेंगे,

अँधेरे में चिराग-ए-मोहब्बत जलाते रहेंगे।


तुम लौटकर आ जाओ न,

मेरा आखिरी बार कहना मान जाओ न।


तुम्हारी यादों से घिरे हुए रहते हैं,

न जाने क्यों बेमतलब दर्द सहते हैं।


तुम थी नदी तो मैं नदी का किनारा था,

तेरे लिए एक सहारा था।


तेरे रूठ जाने पर तुझे मनाना,

फिर तुझे बार-बार सताना।


तेरा वो अपनापन दिखाना,

मेरे लिए अपने में पागलपन ले आना।


कैसे भूले वो जमाना,

कभी यह भी हुआ करता था जिन्दगी का तराना।


तेरे जाने के बाद मैं तनहा हूँ,

तेरे बातों में फन्हा हूँ।


लोग तो है आस-पास,

लेकिन तुम-सा नहीं है कोई खास।


आ जाना यार!

अभी भी करते है तुमसे उतना ही प्यार।


तुम भूल गयी मुझे यह मत कहना,

मुश्किल हो जायेगा दोनों का रहना।


चल न फिर से हमसफ़र बन जाये,इश्क़ की डोर में इस कदर बँध जाये।


वापिस अलग न हो पाए,

वक़्त के असर में न खो जाए।


तू मान जाएगी न,

वापिस एक दिन आएगी न।


मैं इंतज़ार कर रहा हूँ तेरा वहीं पर,जहाँ मिला करते हम वक्त सही पर।


कुछ तुम अपनी कहना कुछ हम अपनी कहेंगें,

अब बस हुआ और तुम से दूरियाँ न सहेंगे।


चलो तुम भी अब थक गयी होगी,

न जाने कितने आँसू पी गयी होगी।


मैं भी शब्दों पर विराम देता हूँ,

तुमसे मोहब्बत करने का इल्ज़ाम सरेआम लेता हूँ।



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