इश्क का मोहताज़
इश्क का मोहताज़
मेघ धनुष के रंगों की तरह,
जीवन अपना मैंने सजाया है,
तेरा साथ अगर मिल जाये तो,
मुझे प्रेम नगर एक बसाना है।
इश्क की ज्योत जला दे दिल में,
नफ़रत का अंधेरा मिटाना है,
तेरी धड़कन का ताल मिलाकर,
मुझे इश्क की शहनाई बजानी है।
कोयल सी तेरी बोली सुनकर,
तेरे इश्क के मधुर नगमे गाने है,
मेघ मल्हार की बारिश गिराकर,
मुझे इश्क की आग मिटानी है।
एक दूजे के इश्क में डूबकर,
इश्क की नदियाँ बहानी है,
तेरे इश्क का दीवाना बनकर,
मुझे तेरे दिल में बसना है।
आ जा सनम अब पास मेरे,
सदियों से तेरा इन्तज़ार है,
"मुरली" तुझ से नज़र मिलाकर,
इश्क की ज़ाम छलकानी है।

