इश्क का एहसास
इश्क का एहसास
तेरे कजरारे नैना मुझ को घायल बना देता है,
तू इश्क करती है ऐसा मुझे एहसास होता है।
तेरा बेशुमार हुस्न मुझ को रोम रोम लहराता है,
तू परी जैसी हो ऐसा मुझ को एहसास होता है।
तेरी मस्त अदा से मेरी इश्क की प्यास बढ़ जाती है,
तू अब तड़पाती हो ऐसा मुझ को एहसास होता है।
तेरे मधुर अल्फाज़ से मेरी कलम भी रुक जाती है,
तू इश्क की गज़ल हो ऐसा मुझ को एहसास होता है।
"मुरली" तुझे दिल में बसाने की तमन्ना हो जाती है,
तू मेरे लिये बनी हो ऐसा मुझ को एहसास होता है।