इश्क छुपा है
इश्क छुपा है
छुप छुप के देखा
करते थे आप को,
छुप छुप के देखा
करते थे आपको,
मन ही मन में,
चाहने लगे थे,
आपको,
करवटें बदलता करते थे,
आप के दीदार को
तरस जाते थे,
हम कभी,
धड़कनें तेज हो,
जाती थी कभी कभी,
आहे भरा करते,
थे हम भी
आग दोनो तरफ़,
बराबर लगी थी,
इझहार तुम न कर,
पाये ना हम,
बस इशारों इशारों मे
बातें करते रहें
इक दूजे का साथ ,
निभाते रहे,
प्यार का इज़हार
करने की बारी आई,
तो हिम्मत करके,
दिल की बात जुबां,
पे आ गई।