इश्क, आंसुओं के सागर में तूफानों का सैलाब है
इश्क, आंसुओं के सागर में तूफानों का सैलाब है
1. इश्क
ये इश्क़,
हमारी जिन्दगी की बंदिगी है
कैसे बताऊं की ये क्या है
ये गुलाबी सर्द सी, शर्म से सिमटी
गंगा सी निर्मल, निश्छल, रागों की सरगम
राधा सी समर्पण, भावनाओं की पूंजी है।
इश्क़ में,
सुना है लोग बिखर के निखर जाते हैं
और अधूरे रह कर भी मुकम्मल हो जाते हैं
जो तू नहीं तो दोस्तों की महफिलों में भी
तनहाइयों का आलम है
साथ हैं तो बस हम और तेरी यादें।
इश्क़ की बातें,
तुमसे बताना बहुत कुछ था मिलकर
पर समय की बेरहमी का हुआ ऐसा असर
मिलने से पहले ही तुम हुए यूं बेरहम
कि सुननेवाला बस मैं और मेरी तनहाइयाँ थी।
इश्क़ की,
राहों में खतरे अनजानी-जानी पहचानी सी
दोस्तों की भीड़ में दुश्मनों के कई चेहरे हैं
जिम्मेवारियों के कसौटियों के लगे मेले हैं
आओ हम अलग होकर भी राधाकृष्ण बन जाते हैं।
2. आंसुओं के सागर में तूफानों का सैलाब है
रूह के रिश्ते, ज़ज़्बातों का अहसास
सब रौशन थे तेरी हंसी की फुलवारी में
त्योहारें आती रहेंगी, जाती रहेंगी
पर अब ना उमड़ेगी उमंगों की लहरें
बस अब आंसुओं के सागर में
तूफानों के सैलाबों का बसर है
बाहर हैं,
दिये की लरज़ती रौशनी का साम्राज्य
रंगों की अठखेलियाँ करती मुस्कराती रंगोली
हंसते-खिलखिलाते तुम्हारे दोस्तों की टोली
पर मेरी देहरी उदास राह देख रहा तेरी
ना दियों का साथ, ना खिली है रंग-बिरंगी रंगोली
बस उमंगों के साम्राज्य में उदासियों का डेरा है
वक़्त के क्रूर मज़ाक के ठहाकों की गूंज से
अब मेरा मन सहमा सा छुप रहा
जिम्मेवारियों के दहलीज़ भीतर
कोशिशों की कश्ती में बिन पतवार चल रही
उम्मीदों के दिये को तूफानों से बचाती
कहीं से मिल जाती तेरी एक झलक और
मैं चुम लेती तेरे आत्मविश्वास से भरे माथे को
और तुम नखरे दिखाती
प्यारी सी आवाज़ में कहती
अरे यार मम्मी क्यों हो उदास , मैं यहीं तो हूं ।।