STORYMIRROR

mukta singh

Tragedy

4  

mukta singh

Tragedy

कैसे जियूँ,ये तो बताते

कैसे जियूँ,ये तो बताते

1 min
270


जाने से पहले कैसे जियूँ,ये तो बताते जाते

मन सुना आंगन सूना,सूना है आंचल का कोना

त्योहारें आती-जाती हैं, सूना सूना निभाते हैं सारी

हम होठों पे लेकर हंसीं के फव्वारे

दिल के समंदर के तूफानों को छुपाते हैं।


जाने से पहले कैसे जियूँ,ये तो बताते जाते

शिकायतें हैं बहुत सारी ईश्वर से,तुमसे,वक़्त से

सवालों की झंझावतों से गुजरते हैं हरपल

कर्तव्य निभाये जाते हैं ,सुनी निगाहें लिए

झूठे सपने,झूठे तेरे वादे,झूठ था सारा फ़साना

वो हँसना-हंसाना, रूठना-मनाना 

आज भी इंतजार करती हैं,मेरी हथेलियां

तेरे प्यार भरे रोष जताते मेहंदी लगाने की।


जाने से पहले कैसे जियूँ,ये तो बताते जाते

आस है वक़्त को मरहम बनने का,पर

जो वक़्त ज़ख्म दे गया,वो मरहम क्या बनेगा

काश वक़्त पलट जाए,तू फिर से मेरे गोद में खिलखिलाए

गले लग कर मनुहार-प्यार जताए

वो अनछुआ सा मखमली अहसास जगाये।

जाने से पहले कैसे जियूँ,ये तो बताते जाते।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

Similar hindi poem from Tragedy