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KUMAR अविनाश

Romance

4  

KUMAR अविनाश

Romance

इस तरह

इस तरह

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इस तरह तुझको दिल से अपने भुलाया भी नहीं

तेरी यादों को दिल से कभी भुलाया ही नहीं


मेरी हर खुशी मेरे हर गम में हर पल शामिल थी तुम

बाद तेरे किसी ने हंसाया भी नहीं समझाया भी नहीं


तेरे अलावा और किससे रखते हम वफा की उम्मीद

बाद तेरे जाने के कोई आया भी नहीं हमने बुलाया भी नहीं


 उम्मीद हो जिसमें थोड़ी बहुत भी मिलने की तुझसे

 निगाहों ने ऐसा कोई ख्वाब कभी दिखलाया भी नहीं

   

 एक वादे पर किसी के लुटा देते हम सबकुछ अपना

 क्या करे किसी ने अब तक हमको आजमाया भी नहीं


दोष तेरा नहीं, फूल से मेरे, इस नाजुक दिल का है

क्या करे किसी ने अब तक इसको इतना तड़पाया भी नहीं


 कैसे गिनता कितनी रातें जागकर काटी हैं याद में तेरी,

 हिसाब अब-तक जिसका मैंने लगाया भी नहीं


 सफर कटता भी तो आखिर किसके भरोसे कटता

मिला कोई हमदर्द भी नहीं हमसाया भी नहीं


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