इंतज़ार
इंतज़ार
हमारी सुबह से रात हो गई
उसकी अभी वो शाम नहीं हुई
दिन बीत रहे इंतज़ार में
मगर, उसकी अभी वो शाम नहीं हुई
पहल हमने की
हमारे बीच वो अनचाही, अनदेखी
दीवार तोड़ने की
हाँ, थोड़ी कोशिश मैं भी करूँगी
अभी वयस्त हूँ, शाम को करूँगी
मगर, उसकी अभी वो शाम नहीं हुई
डेढ़ महीने का इंतज़ार, खत्म होने को आया
जब उसने हमारा फ़ोन उठाया
आह, गलती से लग गया था
एक झूठा सा बहाना हमने भी लगाया
कोई ना, मैं बाद में बात करूँगी
चल आज शाम को ही फ़ोन करूँगी
मगर, उसकी अभी वो शाम नहीं हुई
वो 37 सेकंड की बात में
बस हाल चाल ही पूछा था
इतना बदल जाएगी वो
ये नहीं सोचा था
या बदल गए हम ही
या बदली हमारी दोस्ती
तुम्हारी जगह किसी को नहीं दूंगी
पुरानी यादों के नाम, अपनी एक शाम करूँगी
मगर, उसकी अभी वो शाम नहीं हुई
और हमारी
सुबह से रात हो गयी
उसकी अभी वो शाम नहीं हुई।