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Nir Anand

Abstract Inspirational

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Nir Anand

Abstract Inspirational

मन के चार खंड

मन के चार खंड

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एक मन, उसके चार खंड

ना समझे, तो मिले दंड ।।1।।


विज्ञान, संज्ञा, वेदना, संस्कार

यही मन के चार आकार ।।2।।


सबसे पहला, विज्ञान आये

मन-शरीर को सूचित कराये ।।3।।


विज्ञान के बाद, संज्ञा आये

भेद करना, इसको अच्छे से भाये ।।4।।


वेदना आती, संज्ञा के बाद

प्रतिक्रिया करना, यही इसमे खास ।।5।।


संस्कार है, मन का चौथा खंड

कर्म बीजों का करता, यही संगठन ।।6।।


विज्ञान, संज्ञा, वेदना, संस्कार

जो यही है, मन के चार आकार।

जो समझ सके तो समझे

जीवन है, वरना आपका बेकार।।


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