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Nir Anand

Inspirational

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Nir Anand

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उदय हुआ धरम का

उदय हुआ धरम का

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उदय हुआ धरम का

फैले चारों और

हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई

बंध गये एक ही डोर


डोर डोर में बाँध लिया

ऐसा धरम का मोल

मिट गए सारे राग-द्वेष

मिट गया जात - पात का झोल


झोल न रहे, किसी बात का

मिले धरम अनमोल

अनमोल रतन धरम का

सबके राहें खोल


खुल गये सारे बंधन मन के

क्षीण हुआ चित्त चोर

साँस साँस में रहे धरम

कभी ना भागे किसी और


शुद्ध धरम की नीर से

साफ़ हुआ मन का जाल

जाल, जाल न रहे अब मन में

मन हुआ खुशहाल



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