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Nir Anand

Inspirational

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Nir Anand

Inspirational

विपश्यना

विपश्यना

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विशेष रूप से देखना

यही इसी का नाम

साढ़े - तीन हाथ का काया दर्शन

यही इसी का काम


शील इसका आधार है

समाधी इसका अंग

प्रज्ञा इससे जागृत होये

रहे हमेशा संग


स्वच्छ करें मैले मन को

दूर होये विकार

शील, समाधि, प्रज्ञा से

चित्त होये साकार


क्षण-प्रतिक्षण रात-दिन

साँस साँस में सजगता

चित्त इससे स्थिर होवे

मन में पाये समता


भेदभाव ना इसमें होये

कोई भी पाये ज्ञान

जो निकले इसमें आगे

वही दे धर्म का दान।


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