इंतजार
इंतजार
वो करती रही इंतजार की
ख़ुशी के पल सुर्ख गुलाब से
महकेंगे …..
वो करती रही इंतजार की
खुशियां झूमती हवा सी
गुनगुनाएगी.....
वो करती रही इंतजार की
खुशी ...ढोलक की थाप सी
गूंजती हुई बिखेरेगी लय और ताल
पर खुशी कैसे आती क्योंकि
मन के भीतर के द्वारा पर तो
ताला लगा हुआ था बंदिशों का
घुटन का .......
आज उसने इंतजार नहीं किया
उसने खुशियों के एहसास की चाभी से
भीतर के ताले को खोला ........
तो देखा वहाँ ताज़े गुलाब थे मखमली आवाज़ के
गीत और ढोल की ताल में ताल मिलाते नृत्य थे
सबने मेरा हाथ पकड़ा और प्यार से कहा
चलो अब हमारे संग तुम भी मुस्कुरा लो
कोई गीत गा लो...