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sonam prajapati2013

Inspirational Tragedy

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sonam prajapati2013

Inspirational Tragedy

इंसानियत

इंसानियत

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क्यों इंसान ही किसी इंसान में भेद करता है

इंसानियत के धर्म में जीने में खेद करता है,

जहाँ चाँद सूरज का नूर हर दिशा में है

जहाँ कुदरत का दस्तूर हर सदा में है

वहां इंसान अपने ही मज़हब में बैर करता है,

प्यार के रिश्तों की एहमियत को भुलाकर

अपना रिश्ता नफरत की ज़ंजीरों से जोड़ता है,


इंसानियत के दिल में बुराई के खंज़र से छेद करता है

क्यों इंसान ही किसी इंसान में भेद करता है,

जिस प्रकृति की पनाहों में जीना सीखा

जिन फूलों के साथ बहारों सा खिलना सीखा

उसी सरजमीं पर खुदगर्जी का कहर ढहाता है

अपनों के ही लहू को पानी सा बहाता है

इंसानियत के हर जज्बात को हैवानियत से मिटा देता है

क्यों इंसान ही किसी इंसान में भेद करता है।


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