इंसानियत का पाठ पढ़ाएं
इंसानियत का पाठ पढ़ाएं
एकता में अनेकता के गीत
क्यों बुझे- बुझे से होकर गायें
अपनी विशेषताओं को ना भूल कर
अलगाववादी नीतियों से
एकजुट होकर पीछा छुड़ाएं
गरीबी बेरोजगारी भ्रष्टाचारी से लड़े
और अमन चैन का एक गुलिस्ता बनाएं
एससी एसटी ओबीसी जरनल कैटेगरी
बंद करके फिर से संविधान की एक
नई प्रस्तावना लिखी जाए
ना कोई हिंदू हो ना मुस्लिम
ना कोई सिख और ना ही ईसाई
ना कोई जाति ना कोई धर्म
जिसमें हम सब भारतवासी
कहलाए
अपनी योग्यता के अनुसार हर
कोई अपनी मंजिल को पाये
इतिहास में रहने की आदत को छोड़
वर्तमान में बात करने से ना शर्माए
जो दिमाग में चलता है वही
जुबां पर लाएं
अपने अधिकारों को समझ कर अपने
कर्तव्य निभाएं
आने वाली पीढ़ी को इंसानियत का पाठ पढ़ाएं।