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Ambika Nanda

Abstract

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Ambika Nanda

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रिश्ते

रिश्ते

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तारिखें तो बस, दस्तखत ही हैं,

समय की रेत पर।

अच्छा या बुरा,समय कहां होता है ?

वह तो बस इंसान होता है,


जो जीवन के दोराहे पर खड़ा,

या तो हाथ थामता है,

या बर्बादी का मंजर देखता है।


मुट्ठी से दरकती रेत की तरह,

समय भी सरकता जाता है,

अच्छे, बुरे, खट्टे, मीठे तज़ुर्बे ही,

जीवन का केनवस सजाते हैं।

चलता चल ऐ, दिले नादान,


जिस से मन मिले उसे सहेज,

जो न मिले तो कर परहेज़।


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