फिर कभी ना मिले ( 44 )
फिर कभी ना मिले ( 44 )
कोरोना की महामारी से
गुजरा 2020 का साल,
लाखों लोग मौत के मुँह के
ग्रास बन गए इस साल,
कइयों के अपने और
कइयों के सपनें ले गया यह साल,
करोडों लोग कह रहे है
था बड़ा बदहाल और
मनहूस यह साल,
फिर कभी लौट के
ना आए कोई भी साल दुबारा,
जो मानव मात्र का
बन जाय जीवन का काल,
जैसे गुजरा
"दो हजार बीस" का पिछला साल,
कह दो मिलकर सारे "अलविदा"
दो हजार बीस का साल,
फिर कभी ना मिले कोई दौबारा ऐसा साल !