तू अंखियों का नूर
तू अंखियों का नूर
तुझे देख कर आज मन सोचे दूर दूर है
तुमसे हर सपना तू अंखियों का नूर है I
तुम्हें बंदिशों में न बांधूंगा
धर्म से न तुझे साधूंगा
जामा न जात पात का
डर न दिन रात का
नये उमंगों की आयाम से तू होता रहे मशहूर है
तुमसे हर सपना तू अंखियों का नूर है
पढ़ लिख कर तू देश की सेवा करे
अनीति भ्रष्टता की तू राह न धरे
रंजिशें मन में ना हो तेरे
आतंक से ना समाज को घेरे
आ तुझे मानवता का छांव दे दूं
समस्या से लड़ने धैर्य नाव दे दूं
सत्य अहिंसा अस्त्र दे दूं जो धर्म धुर है
तुझे देख कर आज मन सोचे दूर दूर है
तुमसे हर सपना तू अंखियों का नूर है।