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Rajiv Jiya Kumar

Abstract

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Rajiv Jiya Kumar

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कत्ल की तैयारी है

कत्ल की तैयारी है

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बन तमाशाबीन होकर मौन

देख रही है दूनिया प्यारी 

कर चुका हूँ आज मैं पूरी

इच्छाओ के कत्ल की तैयारी।।

कठोर वक्त की खाकर ठोकर

मुरझा गई सपनों की फुलवारी

क्या क्या न सहा,कुछ न कहा

सिसकती खङी जिन्दगी बेचारी,

कर चुका हूँ आज मैं पूरी

इच्छाओं के कत्ल की तैयारी।।

आँसू भी कहाँ ढलते जब

रोती बस हर आह बेचारी,

नही पुष्प पा सकते अब तो

सीचतें सब काँटों की क्यारी,

बहुत मन की कह ली अब तक

बनी हर खुशी ईक व्यापारी,

तभी तो कर ली आज मैने पूरी 

इच्छाओं के कत्ल की तैयारी।।

बन तमाशाबीन होकर मौन

देख रही है दुनिया प्यारी।।

            



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