इन्सानियत जिंदा क्यों है
इन्सानियत जिंदा क्यों है
शहर के शोरगुल से तंग तुम
सितारों के पास जाने की बातें करते थे
अब सितारों के पास जाकर
क्या करोगे तुम
क्योंकि हँसती हुयी बस्तियों में
अब कोई शोरगुल नहीं है
वीरान घरों में बचें खुचे
लोग बस सिसक रहे है
दोनों ओर की पत्थरबाजी से
चलती फिरती सड़कें कराह रही है
शहर के किसी कोने में इन्सानियत
सदमें में सन्न खड़ी है
जो कहकहे लगाने की सोच रहे थे
वे हैरान है कि इन्सानियत जिंदा क्यों है।