STORYMIRROR

इन्सानियत जिंदा क्यों है

इन्सानियत जिंदा क्यों है

1 min
289


शहर के शोरगुल से तंग तुम

सितारों के पास जाने की बातें करते थे 

अब सितारों के पास जाकर

क्या करोगे तुम


क्योंकि हँसती हुयी बस्तियों में

अब कोई शोरगुल नहीं है

वीरान घरों में बचें खुचे

लोग बस सिसक रहे है


दोनों ओर की पत्थरबाजी से 

चलती फिरती सड़कें कराह रही है

शहर के किसी कोने में इन्सानियत

सदमें में सन्न खड़ी है


जो कहकहे लगाने की सोच रहे थे

वे हैरान है कि इन्सानियत जिंदा क्यों है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract