इंद्रधनुष
इंद्रधनुष
मैंने अपने आँगन में
कुछ विरवे रोपे थे
खाद पानी से सींचा
और बहुत दुलराया
और एक
दिन चटकी कलियां
फूल और फल भी आये
संग साथ में तितली लाये
रंग कई बिखराये।
गौरैया और छोटी चिड़िया
नृत्य गान करती है,
और गिलहरी आंगन में
झूम झूम नचती है,
सूने निर्जन आँगन में
रंग समाए सातों ऐसे
आसमान का इंद्रधनुष
घर मेरे आया हो जैसे!!
क्यों कहते रहते हो ?
अब समय है बदला
और नीरस है जीवन
तुम भी तो कुछ विरवे रोपो
अपने मन के आँगन।