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कीर्ति वर्मा

Romance

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कीर्ति वर्मा

Romance

दिल से लगा बैठे

दिल से लगा बैठे

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मैंने तो यूँ ही कह दिया

वो दिल से लगा बैठे

 ख़्वावों ख्यालों में

अपना बना बैठे...

लकीरें कहाँ थीं 


हाथों में मेरी

मैं तो बसी थी

बातों में तेरी

किनारे नदी के 

मिलते नहीं है


फिर भी मिलन की 

आस लगा बैठे

मैने तो यूँ ही कह दिया

वो दिल से लगा बैठे

 ख़्वावों ख्यालों में

अपना बना बैठे...


मिले भी तो ऐसे 

जब उजड़ा चमन था

जुदा मेरी धरती 

जुदा तेरा गगन था

बीते दिनों की


बारात सजा बैठे

मैंने तो यूँ ही कह दिया

वो दिल से लगा बैठे

ख़्वावों ख्यालों में 

अपना बना बैठे।


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