इन रातों में
इन रातों में
तेरे नाम का सजदा
मैं कर लूँ इन आँखों में
तेरी रूह से पर्दा
मैं कर लूँ इन रातों में।
ये जिस्म पिघले ऐसे ....
जैसे बर्फ पिघले गगन में
तेरे छूने से किनारा
मैं कर लूँ इन रातों में।
ये आग गर भड़क गई
तो शोला बन के उठेगी
इस आग को दबा के
मैं जल लूँ इन रातों में।
सुना है एक बेताबी
आजकल उधर बढ़ी है
अपनी बेताबी तुझे सुनाकर
मैं हंस लूँ इन रातों में।
जो टूट गया ये पहरा
तो फिर ना कुछ रुकेगा
खुद को थोड़ा तपा के
मैं मचल लूँ इन रातों में।।