इन दिनों
इन दिनों
इन दिनों अपने अंदर एक
अजीब सी असमय मौत के बाद
मैं खुद में चुप चुप रहती हूँ।
हालांकि
बहुत बहुत
तेज चलती हूँ विचारों में,
मेरे दिमाग में
मीलों प्रकाशवर्ष
दूर की संभावनाएं
अपनी जड़ें
बड़बड़ाती हुई
रास्ते तलाशने लगती हैं।
मेरे आस पास
कई किताबों से
भरे लोग मुझे
हैलुसिनेटेड
लगने लगते है
और उन्हें मैं
डिप्रेस्ड।
उन्हें उस हाल में देख
भावुकता में मैं फिर
एक गलती कर देती हूँ
"पैरेलल दुनिया और
हम सबके अस्तित्व को"
उन सबके सामने
ज्यों का त्यों
पूरा उड़ेल देती हूँ,
उनकी भाषा मे सुनती हूँ कि
मैं ट्रांस में
'अजीब सी बड़बड़'
करने लगती हूँ।
और इस तरह
हम बेहद डरा देते हैं
एक दूसरे को
खारिज करत देते हैं
और हारकर
अंत में घोषित कर
देते हैं एक दूसरे को
"हैलुसिनेटेड-डिप्रेस्ड"
बजाय इसके
की तलाशे जवाब
अपनी-अपनी
तरह से।
इन दिनों अपने अंदर एक
अजीब सी असमय मौत के बाद
मैं खुद में चुप चुप रहती हूँ।