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Kunda Shamkuwar

Abstract Fantasy Others

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Kunda Shamkuwar

Abstract Fantasy Others

ईश्वर से सवाल

ईश्वर से सवाल

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हे ईश्वर, मेरा तुमसे एक सवाल है

जब जब हम औरतों पर बंदिशें लगायी गयी

तब तब हमने तुम्हारा पुकारा किया

लेकिन तुमने कभी उन बंदिशों से हमें आज़ाद नहीं किया........

हम औरतें रिवाजों की बेड़ियों में जकड़ी रही...

कभी रूढ़ियों के नाम पर......

कभी परम्पराओं के नाम पर.....

तुम बस मौन रहे.....

एक चिरन्तन मौन...सदियों तक....


हे ईश्वर, आज मैं जानना चाहती हूँ

की कोरोना काल में ताले में बंद होकर तुम्हें कैसा लग रहा है?

कई लोग जगह जगह तुम्हारे लिए प्रदर्शन करते जा रहे है.....

पत्र लिखे जा रहे है....

तुम्हें तो अच्छा लग रहा होगा कि मेरे लिए लोग क्या नहीं कर रहे है

हाऊ इम्पोर्टेन्ट आय एम !!!

हाँ, हाँ सही सोच रहे हो तुम !

उनके लिए तुम्हारा अनन्य साधारण महत्व है......

तुम्हारे बिना क्या कोई नये काम का

श्री गणेश कर पाते है वे भला?


लेकिन हे ईश्वर, अब हम जान गयी है कुछ लोगों की तुम मात्र कल्पना हो.....

और सदियों से उन्होंने उस कल्पना को पत्थरों में तो कभी महाकाव्यों में गढ़ा है..

हक़ीक़तन मज़दूरों के पलायन के वक़्त से तुम्हारे अस्तित्व को हम जान चुकी है!




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