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Manju Rani

Tragedy Classics Inspirational

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Manju Rani

Tragedy Classics Inspirational

ईश्वर से दर्द छुपाना

ईश्वर से दर्द छुपाना

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जो ईश्वर से भी

दर्द छुपाना चाहे

उसका दर्द

कितना गहरा होगा

कितना अपना होगा

कितना कहराता होगा


कितना चीखता होगा

कितना बेचैन-सा होगा

कितना तड़पाता होगा

कितना झटपटता होगा।

उसका दर्द 

कितना नैनों से बरसता होगा

कितना खोखला करता होगा

कितना प्यार से भागता होगा

कितना विश्वास से डरता होगा

कितना हृदय पर क्रोधित होगा


कितना मरने को मचलता होगा

कितना काँटों पर भागता होगा

कितना चुभता ही चला जाता होगा

कितना लहू के बिना लहूलुहान होगा

कितना चुपचाप करहाता होगा।


उसका दर्द

कितना बेबस होगा

कितना अपना होगा

जो ईश्वर से भी

दर्द छुपाता होगा।

पर भूल गया नादान !


उससे

किसका दर्द छुपा

वही देने वाला,

वही हरने वाला।

दु:ख दे संयम परखता

सुख दे अहम परखता।


उसका सुख-दु:ख

उसे सौंप।

आनंद संग

चलता चल,

चलता चल।

एक दिन आनंदमय हो जाएगा

और बंधनों से मुक्त हो जाएगा।


न कष्टों से भाग

न सुख में रम

बस कर्म कर,

कर्म कर, कर्म कर।


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