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Debabrata Mishra

Abstract Inspirational Others

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Debabrata Mishra

Abstract Inspirational Others

ईमान

ईमान

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न रहम रहा न रही तमीज

सब बेरहम कैसे हुए

कुछ खास नहीं सब झूठी तहज़ीब

सच्चा कौन यह झुठा है बताता

चोरी की विद्या पुलिस क्यों बताता, 

अच्छा दाम मिल जाए तो शायद

बेचने लग जाते है कुछ अपनी ज़मीर


धनवान हो जाए अगर

समझ लेते है बड़ा अमीर , 

सब तो बेईमानी से हैं खुश

ईमानदारी का जमाना कहाँ है..? 

सरल होना जिन्दगी मूर्ख जैसे, 

ईश्वर से न डर न है कोई भक्ति

सब स्वार्थी हे घुस खाने की होड़ लगी है, 

दिमाग से दुनिया चलने लगा अब

दिल होता तो बात कुछ और होती॥ 



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