STORYMIRROR

Debabrata Mishra

Abstract Inspirational

3  

Debabrata Mishra

Abstract Inspirational

है वक्त मुझे जीने दे

है वक्त मुझे जीने दे

1 min
137

जब रोना चाहूं तो आंसू रोक देते हो

मुस्कुराना तो शायद हमें अब याद नहीं

घुटन इतनी अन्दर ही अन्दर 

कशमकश में जिन्दगी बेचैन लगती है

चलना भी नहीं रुकना भी नहीं

तू बता सामने आकर मेरे

जिन्दगी जीते कैसे बता दे जरा

है वक्त मुझे थोड़ा तो जीने दे, 


न रात न सुबह सब खामोश है

मैं खुद खुश कैसे हो जाऊँ

मुझमें सिर्फ में तो नहीं

मेरा घर मेरा परिवार भी है

दुनियादारी मुझे आता नहीं

जिन्दगी बस ईश्वर की आशीर्वाद से

सफर में मेरे तू साथ दे वक्त

या तो हमें गुजर जाने दे

व्यर्थ है प्राण मेरे

मूल्य मेरी तू ही बता दे

है वक्त मुझे थोड़ा सा जीने दे ॥ 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract