STORYMIRROR

Debabrata Mishra

Abstract Inspirational

4  

Debabrata Mishra

Abstract Inspirational

आईने में देखो खुद को

आईने में देखो खुद को

1 min
379



तेरे अन्दर का उम्मीद जो टूटा हुआ

तेरे मंजिलों का जिंदा मरीज जो मरा हुआ

सब नजर आएंगे स्पष्ट तुझे

जरा साफ आईने में देखो खुद को

समझ जाओगे कि तेरा दिल कितना उलझा हुआ, 


अपनों को लेकर अपनों के बारे में सोचा हुआ

सब दिखेगा, अन्दर की हँसी और रोता हुआ

तुम कितने सही ओर कितने गलत

जरा गौर से देख लेना तुम खुद को

समझ में आएगा तुझे सब, तुम मुक्त या बन्धा हुआ, 


कौन है अपना तेरा जो तुझे समझा हुआ

कौन तेरे अन्दर की आंसुओं को देखा हुआ

सच्चाई जानकर हैरान होगे तुम 

जरा धीरज से आईने में देख खुद को

महसूस करोगे तुम, वाकई तुम जिंदा हो या मरा हुआ, 


तेरा अन्दर का वो दर्द, व्यथा जो छुपा हुआ

आंखों से न वह सका आंसू जो मन में ही रुका हुआ

जरा इत्मीनान से आईने में देखो खुद को

देखोगे, कौन सच्चा है और कौन साबित झूठा हुआ

तेरी ज़िंदगी में अब मुस्कुराहट के कम वक्त बचा हुआ॥ 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract