जिन्दगी है
जिन्दगी है
हरे पते को हरा ही रहने दो
फूलों को मासूम रहने दो
वक्त के खातीर है हम सब
अगर वक्त है तो हमें रहने दो,
रास्ता नहीं चलेगा खड़ा ही है
तुम रुकने से वक्त न रुकेगा
खुद ही खुद को समझने दो
पैर नीकालो ओर जरा चलने दो,
कान्टों की जरूरत ज्यादा है
ज्यादा मासुमियत सबमें बाधा है
लब्ज़ को थोड़ा कड़कने दो
बातों में थोड़ी बहस भी होने दो,
न आप गलत हो, न में सदैव सही
हम सिर्फ इंसान व कुछ भी नहीं
अन्त सफर तक रिश्ता रहने दो
गम को भी तो थोड़ा मुस्कुराने दो,
हर रिश्ता अपनेपन का चाह में है
हर कोई कहे वो सही राह में है
सबका विचार वक्त को करने दो
हमें भी थोड़ा जिन्दा रहने दो॥