STORYMIRROR

Debabrata Mishra

Abstract Classics Inspirational

4  

Debabrata Mishra

Abstract Classics Inspirational

जिन्दगी है

जिन्दगी है

1 min
341


हरे पते को हरा ही रहने दो

फूलों को मासूम रहने दो

वक्त के खातीर है हम सब

अगर वक्त है तो हमें रहने दो, 


रास्ता नहीं चलेगा खड़ा ही है

तुम रुकने से वक्त न रुकेगा

खुद ही खुद को समझने दो

पैर नीकालो ओर जरा चलने दो, 


कान्टों की जरूरत ज्यादा है

ज्यादा मासुमियत सबमें बाधा है

लब्ज़ को थोड़ा कड़कने दो

बातों में थोड़ी बहस भी होने दो, 


न आप गलत हो, न में सदैव सही

हम सिर्फ इंसान व कुछ भी नहीं

अन्त सफर तक रिश्ता रहने दो

गम को भी तो थोड़ा मुस्कुराने दो, 


हर रिश्ता अपनेपन का चाह में है

हर कोई कहे वो सही राह में है

सबका विचार वक्त को करने दो

हमें भी थोड़ा जिन्दा रहने दो॥ 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract