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Debabrata Mishra

Abstract

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Debabrata Mishra

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भारत

भारत

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अगर बन भी जाऊं अमीर अपना जमीर नहीं बेचुगां

चाहें मिलजाए हमे आसमां माँ-जमीन नहीं बेचुगां, (1)

जिस पावन मिट्टी में जाता हूँ मे उसे न कभी दगा करुं

वेवफा भले हो जाए यहाँ सारे मे तो सिर्फ वफ़ा करुं, (2)

मिट्टी की खुशबू याद रहे पहले अपना देश बाकी बाद रहे

नमीं आखों में न आनेदेगें हमे तेरे बीरों का नाम याद रहे , (3)

न तुम बड़े न बड़े है हम सबसे बड़ा भारत देश है हमारा

चलों कुछ खास करें जाने से पहले सार्थक हो जीबन सारा, (4)

रहेगा यहाँ कोई नहीं यारों कुछ हम छोड़ जा सकते है

देश ने सबकुछ दिया हे हमे माँ को कुछ हम दे सकते है, (5)

पता नहीं कब प्राण जाए चलों मिट्टी के लिए कुछ कर जाए

खुद के वास्ते तो जीते हैं सब आओ देश के लिए मर जाए, (6)

अपनी आसू अपने पोछ लेगें माँ रोए तो कोन आसुं पोछे

अगर हम सब इतने आगे हो चले तो फिर देश क्यों है पीछे, (7)

न तुम ले पाओगे न हम कुछ ले पाएंगे सब मिट्टी में मिल जाएगें

अगली पीढ़ी को क्या दे जाएगें हम माँ को कुछ तो लौटाएगें,(8)

सरकार किसी की भी हो यहाँ मगर भारत देश तो अपना है

याद रखें हम सब चले जाएगें पर देश को तो ज़िंदा रहना है,(9)

व्यर्थ है यह सारा जीवन हमारा अगर देश हम से हे दु:खी

जाने कितने दर्द सम्भाला मिट्टी ने फिर क्यों बेर्दद बेरुखी, (10)

बस पेट भरुं जीने के वासते ऐसी जीन्दगी नामंजूर है हमे

बारबार जमीर बेच अमिर बनुं ऐसी जीवन नामंजूर हमे,(11)

कबतक देश हमे सम्भालते रहेगा हमे भी देश सम्भालना है

कबतक उसे पुछे सवाल देश को जबाब हमे भी तो देना है,(12)

तेरे बारे में क्या लिखुं माँ तुने ही तो हमे लिखना सिखाया है

गलती को मिले माफ पाप करुं तो सजा देना तो तो माँ है(13)


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