हत्यारे
हत्यारे
हाँ,
हुई है हत्या
हमारे मन की,
हत्यारे ने की है
सपनों,
आरज़ुओं ,
जिन्दगानी की हत्या।
जहरबुझे शब्दों के
तीर छोड़े हैं
मन पर,
घोंटा है गला
प्यार का
मारा है
तड़पा- तड़पा कर
बिन प्यार के।
मृत मन
पूछता है बार-बार
हत्यारे ने
क्यों की हत्या
एक मासूम मन
प्यार के सागर की।
