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me Basant

Abstract

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me Basant

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हे सखी

हे सखी

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हे सखी

देखा है हमने

हमारी ही तरह

टहनियों पर

मुस्कुराते फूलों को

सूखकर झरती


पंखुड़ियों को

कुचली जाती कलियों को

मधुबन को मदहोश करती

सुगंध को


काश हम

कमल होते

कीचड़ में खिलते

किसी के हाथ

न आते


हमने देखा-

बीती रात प्रकृति में

अनेकों कमल दल

फूल - फूल

मुस्काये।


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