पत्र जो लिखा मगर भेजा नही
पत्र जो लिखा मगर भेजा नही
जब मन
यादों से
भीग जाता
पत्र लिखती हूं मैं
गहरे चटक
रंगों से
ताकि तुम
उसे दूर से ही
देख सको
पर तुम्हें
भेजती नहीं
ये सोचकर कि
कहीं ये यादें
तुम्हें भी
भिगो न दें।
जब मन
यादों से
भीग जाता
पत्र लिखती हूं मैं
गहरे चटक
रंगों से
ताकि तुम
उसे दूर से ही
देख सको
पर तुम्हें
भेजती नहीं
ये सोचकर कि
कहीं ये यादें
तुम्हें भी
भिगो न दें।