me Basant
Inspirational
क्यों
बिखेरते हो
इधर- उधर
कंटीले शब्द
ईर्ष्या द्वेष
का कलुषित कचरा।
रख नहीं लेते
मन के
एक कोने में
डस्टबिन।
हत्यारे
नदी की आत्म...
बैल को हमने
हे सखी
एक और एक ग...
पत्र जो लिख...
कौन हो तुम
प्यार
डस्टबिन
पाप का घड़ा
कौन हिलाये जड़ें झूठ की, कौन करे तकरार...। लोकतंत्र का चौथा खम्भा, हुआ बहुत लाचार...।। कौन हिलाये जड़ें झूठ की, कौन करे तकरार...। लोकतंत्र का चौथा खम्भा, हुआ बहुत ला...
जीवन मे चमत्कार की उम्मीद छोड़ दो अब परिश्रम की ओर तुम मुंह मोड़ दो। जीवन मे चमत्कार की उम्मीद छोड़ दो अब परिश्रम की ओर तुम मुंह मोड़ दो।
बरगद और बुजुर्गों की एक समान है काया। बरगद और बुजुर्गों की एक समान है काया।
ज़िन्दा है वो आज भी, जश्न मनाओ यार देशप्रेम मक़सद रहा, देशभक्ति ही प्यार। ज़िन्दा है वो आज भी, जश्न मनाओ यार देशप्रेम मक़सद रहा, देशभक्ति ही प्यार।
कहता है पपीहा राह राह में... ढूंढ ना अपनी मंजिल !! कहता है पपीहा राह राह में... ढूंढ ना अपनी मंजिल !!
वृक्ष धरा के अनमोल रत्न हैं, देते जीवन,सुख-साधन हैं। वृक्ष धरा के अनमोल रत्न हैं, देते जीवन,सुख-साधन हैं।
जानती हूँ कि तुम राह से थोड़ी भटक भावनाओं में उलझ जाती हो. जानती हूँ कि तुम राह से थोड़ी भटक भावनाओं में उलझ जाती हो.
द्विवेदी जी कोशिश करने वालों की कभी होती नहीं हार हिंदी। द्विवेदी जी कोशिश करने वालों की कभी होती नहीं हार हिंदी।
बढ़ो-बढ़ो रणधीर बढ़ो, शब्दों के नुकीले तीर लिए। बढ़ो-बढ़ो रणधीर बढ़ो, शब्दों के नुकीले तीर लिए।
खुद को बदल दिया तो बदल ही जाएगा संसार। खुद को बदल दिया तो बदल ही जाएगा संसार।
चित्तौड़ के इतिहास में अनमोल त्याग की सत्यकथा। चित्तौड़ के इतिहास में अनमोल त्याग की सत्यकथा।
विसंगति की धारा पर ही फूटती हैं सृजन की कोपलें। विसंगति की धारा पर ही फूटती हैं सृजन की कोपलें।
परिवार तेरा हर संबंध तेरे अधिकार तुम्हारा है उन पर। परिवार तेरा हर संबंध तेरे अधिकार तुम्हारा है उन पर।
शिक्षा की अलख जब मन में जगने लगे अधिकार-कर्तव्य अपना समझने लगे। शिक्षा की अलख जब मन में जगने लगे अधिकार-कर्तव्य अपना समझने लगे।
ये वक़्त न ठहरा है,ये वक़्त ना ठहरेगा। यूं ही गुज़र जाएगा,घबराना कैसा। ये वक़्त न ठहरा है,ये वक़्त ना ठहरेगा। यूं ही गुज़र जाएगा,घबराना कैसा।
हे! भगवान आप दयालु हैं और सर्वव्यापी हैं। हे! भगवान आप दयालु हैं और सर्वव्यापी हैं।
मैं से तुम नहीं जब हम बन जाओगे I जीवन धारा का मीठा जल तभी ग्रहण कर पाओगे I मैं से तुम नहीं जब हम बन जाओगे I जीवन धारा का मीठा जल तभी ग्रहण कर पाओगे I
श्राद्ध का भी यही है, मकसद हिंद संस्कृति का सुंदर है, नक्ष श्राद्ध का भी यही है, मकसद हिंद संस्कृति का सुंदर है, नक्ष
आज भी हिंदी का वजूद खोया, है बिलख रही देख अपनी हालत पर, आज भी हिंदी का वजूद खोया, है बिलख रही देख अपनी हालत पर,
मुँह लटकाए बैठा है क्यूँ हौसला अपना बुलंद कर मुँह लटकाए बैठा है क्यूँ हौसला अपना बुलंद कर