हृदय
हृदय
तुम्हारे आने के पहले भी
एक हृदय था
वह सिर्फ एक मांस का टुकड़ा था
जो नित्य शारीरिक कार्य में लीन रहता था
और मेरे जीवन को सुचारू रूप से चलाता था।
तुम्हारे आने के बाद भी
एक हृदय है
जो इन कार्यों के अतिरिक्त भी
कुछ करता है
जो इससे पहले नहीं करता था।
यह हर रोज
तुमसे बातें करता है
तुमसे रुष्ट होता है
उदास भी होता है
और रोता भी है
जब कभी तुमसे बात नहीं हो पाती ।।

