हर सांस शिकायत करती है
हर सांस शिकायत करती है


हर सांस शिकायत करती है
आपकी सांस में समाने को बेकरार रहती है,
अब तो मेरे जिस्म में तेरी खुश्बू समाई है
हर जगह बस तेरी ही सूरत दिखाई देती है,
तेरे दिल मे मेरी धड़कन सुनाई देती है
मेरी रूह को तेरी रूह महसूस होती है,
दूर रहकर भी मन से मन की बात कहती है
ख्वाबों में हररोज़ तुझसे ही मुलाक़ात करती है,
हर सांस बस यहीं शिकायत करती है
चाहत यूँ ही बनी रहे बस यही दुआ करती है।