अनकही बातें
अनकही बातें
जिस्म है रूह भी है,
बस है नहीं एक तू साथ मेरे,
बसी है आंखों में इस कदर,
ख्वाब बन कर सीने में।
धड़कता दिल नुमाइश करे तेरे पास आने की,
सिलसिला हो तेरे मेरे मिलने की एक दफा में,
तो रुक जाऐ कदम सांस बन कर तेरे धड़कनों में।
आदत है यह तुझे भूला ना पाऊं कभी मैं,
कैसे करूं इजहार मेरे दिल की अनकही बातें,
डर लगता है तुझसे दूर जाने में।

